स्वं. डाक्टर हरिचंद मिढ़ा
दिवंगत नेता डाक्टर हरिचंद मिढ़ा विधायक कम, डाक्टर ज्यादा थे और विधायक होते हुए भी रोजाना 150 से 200 मरीजों की खुद जांच करते थे और उन्हें दवाई देते थे। पिछले 43 साल से जींद जिले के गरीब बीमारों के लिए डा. मिढ़ा किसी मसीहा से कम नहीं थे। दूर-दराज से आने वाले मरीजों की जेब में जब पैसे तक नहीं होते, तो डा. मिढ़ा उनका इलाज मुफ्त करने के साथ ही उन्हें किराये के रुपये तक दे दिया करते थे। जिस समय डा. मिढ़ा ने सेना से रिटायर होकर जींद में अपना छोटा सा क्लिनिक खोला, उस समय जिले में बड़े-बड़े नामी डाक्टर हुआ करते थे, लेकिन उन नामी डाक्टरों के बीच बीएएमएस रहे डा. मिढ़ा ने अपनी ऐसी पहचान बनाई कि पूरे जिले में जब भी कोई बुखार से पीड़ित होता और उसे आराम नहीं होता तो यह कहा जाता था कि डाक्टर मिढ़ा जी के पास चले जाओ, जाते ही आराम हो जाएगा और ऐसा ही होता भी था। इसे डा. मिढ़ा पर ईश्वर की कृप्पा कहें या मरीज का विश्वास। जो भी उनके क्लिनिक आया, उनका मुरीद होता चला गया।
इसका नतीजा यह हुआ कि पिछले 20 सालों से लगातार लोगों में यह बात चलने लगी थी कि अगर डाक्टर हरिचंद मिढ़ा विधानसभा चुनाव लड़ लेते हैं, तो उनकी जीत पक्की है और उन्हें कोई नहीं हरा सकता। जब उन्होंने 2009 में विधानसभा का चुनाव लड़ा तो पहले चुनाव में ही उन्हें अप्रत्याशित जीत हासिल हुई।
2014 में प्रदेश में बीजेपी की लहर के समय भी वह दूसरी बार चुनाव जीत गए थे। डा. हरिचंद मिढ़ा को माता रानी के भक्त के रूप में जाना जाता था और शहर में कहीं भी कोई जागरण हो या कोई धार्मिक आयोजन, डा. मिढ़ा वहां जरूर जाते थे। इसके साथ ही अपनी कमाई का अंश भी वहां जरूर देते थे। हर साल नवरात्र में अपने निवास पर दो बार माता रानी का जागरण अवश्य करवाते थे।
विधायक डा. हरिचंद मिढ़ा सैंटा क्लाज की तरह मशहूर थे। जैसे सैंटा क्लाज से बच्चों को उम्मीद होती थी कि वह कुछ न कुछ उपहार देकर जाएंगे, ऐसे ही विधानसभा सत्र के दौरान डा. हरिचंद मिढ़ा अक्सर अपनी दवाइयों वाला किट बैग, बीपी चैक करने वाली मशीन, स्टेथोस्कोप लेकर जाया करते थे और कई विधायक उनसे अपना रूटीन चेक-अप कराते थे। सुबह मिढ़ा विधानसभा में पूजा-पाठ करने के बाद प्रसाद भी विधायकों को बांटा करते थे।
हरियाणा के वर्तमान मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दिवंगत मिढ़ा के आवास पर जाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी और परिजनों को ढांढस बंधाया था। हरियाणा प्रदेश के निर्माण के बाद ही जींद जिला राजनीतिक रूप से प्रदेश में अपनी अलग पहचान रखने वाला जिला बन गया था। इस जिले की विधानसभा सीटों पर दिग्गजों का कब्जा रहा करता था। 1966 में प्रदेश बनने के बाद पहली बार 1967 में हुए विधानसभा चुनाव से लेकर 2009 तक के विधानसभा चुनाव तक जींद विधानसभा को कांग्रेस की परंपरागत सीट माना जाता रहा है। अगर जींद विधानसभा में 2009 व 2014 में आईएनएलडी ने जीत दर्ज की है, तो इसमें डा. हरिचंद मिढ़ा का चेहरा रहा है। डा. हरिचंद मिढ़ा ने 26 अगस्त 2018 रविवार सुबह अपोलो अस्पताल में अपनी अंतिम सांसें लीं।